Panchamrit Recipe for Puja : घर पर पूजा के लिए पंचामृत बनाने की विधि
घर पर जब पूजा होती है या कोई भी बड़ा-छोटा अनुष्ठान होता है तब घर पर पंचामृत (Panchamrit) बनाया जाता है, कभी-कभी छोटी सी गलती से पंचामृत ठीक से नही बन पाता है, इसलिए हम इस लेख में पंचामृत बनाने की विधि (Recipe) को आसान शब्दो मे बताने जा रहे है, जिसका अनुसरण करके आप अपने घर पर आसानी से बना सकते है।
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सामग्री | मात्रा |
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दही | 1 लीटर |
शहद | 5 चम्मच |
गुड़ | 500 ग्राम |
गाय का घी | 2 चम्मच |
पंचमेवा (सूखा नारियल, चिरौंजी, मखाना, काजू, बादाम) | सभी 10-10 ग्राम |
तुलसी के पत्ते | 11 या 21 |
चरण | पंचामृत बनाने की विधि |
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1 | सबसे पहले, दही लें और इसे धीरे से फेंटकर पतला कर ले। |
2 | अब इस दही को एक बड़े पात्र में डालें। |
3 | अब, इसमें शहद, गुड़, और गाय का घी डालें। |
4 | सभी सामग्री को अच्छे से मिलाएं ताकि यह एक होमोजिनस मिश्रण बन जाए। |
5 | गुड़ के गल जाने के बाद इसमें ऊपर से पंचमेवा (सूखा नारियल, चिरौंजी, मखाना, काजू, बादाम), को बारीक काटकर मिला दे। |
6 | अब अंत में, तुलसी के पत्तों को धोकर इस मिश्रण में मिलाएं। |
7 | अब आपका पंचामृत तैयार है। |
नोट- यह बनाया हुआ पंचामृत, भगवान को भोग लगाने के बाद चरणामृत के रूप में जाना जाता है।
पंचामृत में 5 चीजें कौन कौन सी होती है?
पंचामृत दही, शहद, गुड़, गाय का घी, पंचमेवा (गरी, चिरौंजी, मखाना, काजू, बादाम), तुलसी के पत्तो को मिलाकर तैयार किया जाता है।
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चरणामृत और पंचामृत में क्या फर्क है?
परमार्श | चरणामृत (Charnamrit) | पंचामृत (Panchamrit) |
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उत्पत्ति | चरणामृत एक पवित्र द्रव है जिसे तुलसी की पत्तियों, शहद और कभी-कभी दूध के कुछ बूँदों को मिलाकर तैयार किया जाता है। | पंचामृत, दूसरे पक्ष पर, पांच पवित्र घटकों का मिश्रण है। |
प्रस्तुति | चरणामृत को धार्मिक अवसरों में प्रस्तुत किया जाता है, खासकर हिन्दू रिवाजों और पूजा में। | पंचामृत को आमतौर पर हिन्दू पूजा अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है, विशेषकर मंदिरों में देवताओं के अभिषेक के दौरान। |
अर्थ | "चरणामृत" शब्द का अनुवाद "पादों से अमृत" होता है, जो देवताओं या आध्यात्मिक नेताओं के पैर धोने के पानी में मौजूद दिव्य सत्ता को दर्शाता है। | पंचामृत में प्रत्येक घटक का प्रतीकात्मक महत्व होता है: दूध, दही, शहद, चीनी और घी। |
उपयोग | चरणामृत को आध्यात्मिक रूप से शुद्धिकरण करने वाला माना जाता है और धार्मिक अनुष्ठानों के बाद प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किया जाता है। | पंचामृत को अत्यधिक शुभ माना जाता है और धार्मिक अनुष्ठानों के बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। |
उपसर्ग | यह भगवान को भोग लगाने के बाद चरणामृत के रूप में जाना जाता है। | यह भगवान को भोग लगाने के पहले के रूप में जाना जाता है। |
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पंचामृत के फायदे
फायदा | विवरण |
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पोषण की वृद्धि | प्रोटीन, विटामिन्स, और खनिजों का प्रदान, पूर्ण पोषण संरचना |
प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा | इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हुए रोग प्रतिरोध में सहायक |
पाचन को सहायता | प्रोबायोटिक्स के माध्यम से पाचन को सहायक, पेट स्वास्थ्य को बढ़ावा |
ऊर्जा की बढ़ोतरी | शहद और गुड़ का प्राकृतिक गुड़, दूध और दही से प्राप्त ऊर्जा की त्वरित आपूर्ति |
हाइड्रेशन | दूध और दही से हाइड्रेट रखने में मदद, गर्मी में या शारीरिक परिश्रम के दौरान |
विषाक्तता की सफ़ाई | शरीर की विषाक्तता में सहायक, सिस्टम को शुद्ध करने में मदद |
आध्यात्मिक महत्व | हिंदू अनुष्ठानों में शुद्धता का प्रतीक, देवताओं को अर्पित किया जाता है |
त्वचा स्वास्थ्य | विटामिन और खनिज त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद, निखार और चमक प्रदान |
दोष संतुलन | तीन दोष - वात, पित्त, और कफ - का संतुलन बनाए रखने में मदद, समग्र कल्याण और संतुलन को बनाए रखने में मदद |
वजन प्रबंधन | वजन प्रबंधन में मदद, संतृप्ति प्रदान करके और खाने की इच्छा को नियंत्रित करके. |