What is the Difference Between Shivratri and Mahashivratri | शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है |
अंतर | शिवरात्रि | महाशिवरात्रि |
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समय | हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी | फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी |
महत्व | भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित | महाशिवरात्रि को भगवान शिव के विवाह का महत्व है |
पूजा | भगवान शिव का पूजन, व्रत, रात्रि जागरण | भगवान शिव और देवी पार्वती का पूजन, व्रत, रात्रि जागरण |
त्योहार का स्वरूप | सामान्य त्योहार | बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार |
धार्मिक ग्रंथों में | कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख | विशेष रूप से स्कंद पुराण और पद्म पुराण में |
निष्कर्ष | दोनों ही भगवान शिव को समर्पित त्योहार | महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है |
महाशिवरात्रि पर क्या होता है?
शिवरात्रि दो शब्दों से मिलकर बना है, "शिव" और "रात्रि"। इसलिए, शिवरात्रि का मतलब है, "भगवान शिव की रात्रि"। शिवरात्रि प्रत्येक महीने के 14वे तारीख को अमावस्या के दिन मनाया जाता है। साल के 12 शिवरात्रि में से, महाशिवरात्रि सबसे ज्यादा महत्तवपूर्ण है जो ग्रहों की स्थिति को देखते हुए माघ(मार्च) या फाल्गुन(अप्रैल) में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन ग्रहों की स्थिति इस तरह होती है कि शरीर में 'ऊर्जा' और 'अध्यात्म' की वृद्धि हो जाती है। प्राचीन संत-साधु के अनुसार, महाशिवरात्रि नास्तिको के लिए अध्यात्म की और बढ़ने का सबसे उचित दिन है क्योंकि इस दिन शरीर की प्रकीर्तिक ऊर्जा स्वयं ही आपके मन को सही दिशा में ले जाती है ।
महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है
भगवान् शिव को एक उत्तम पति माना जाता है। इसलिए, सभी अवविवाहित स्त्रियां पुरे दिन व्रत रखती है, और 'शिवलिंग' की पूजा करती है जिससे भगवान शिव उन्हें उनके जैसा ही एक 'पति' दान करे। विवाहित स्त्रियां पति की लम्बी और खुशहाल ज़िन्दगी के लिए भगवन शिव की वंदना करती है। बाकि सभी अपने कठिनाइयों से छुटकारा पाने के उद्देश्य से शिवलिंग की पूजा करते है। क्योंकि भगवान शिव मृत्यु के देवता है, उनके आशीर्वाद से परिवारजनों को लम्बी आयु और खुशहाल ज़िन्दगी प्राप्त होती है ।
भगवन शिव को इस प्रकार प्रसन्न किया जा सकता है-
तरीका | विवरण |
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उपवास | प्रत्येक सोमवार को पूरे दिन उपवास करना |
अभिषेक | भगवान शिव का अभिषेक करना, शिवलिंग पर बेल के पत्ते, फूल, पानी, दूध चढ़ाना |
मंत्र उच्चारण | भगवान शिव की मंत्रों का उच्चारण करना |
महामृत्युंजय मंत्र | "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥" महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करना, इसे योग साधना की मुद्रा में 108 बार करें, रुद्राक्ष माला का उपयोग करें- |
इस मंत्र का उच्चारण 108 बार योग साधना की मुद्रा में करे। आँखे बंद रखे और रुद्राक्ष माला का उपयोग मंत्र गिनने के लिए करे।
रुद्राक्ष क्या होता है?
रुद्राक्ष दो शब्दो से बना है, 'रूद्र' और 'अक्ष'। असली रुद्राक्ष भगवान शिव की "अक्ष" से बना था। रुद्राक्ष का उपयोग करते हुए मंत्र पढ़ने से भगवन शिव का आशीर्वाद मिलता है, मनुष्य का मन स्थिर होता है, रक्त चाप नियंत्रण में रहता है और निराशा या दुःख का अंत हो जाता है ।
यदि 108 बार महामृत्युंज मंत्र का पढ़ने का समय न हो तो, केवल "ॐ नमः शिवाय" का उच्चारण 108 बार करे। यह आप ऑफिस में या कही पर बैठ कर या खड़े होकर कर सकते है। इसीलिए इस महाशिवरात्रि पर, अगर आप एक प्रगतिवादी और खुशहाल ज़िन्दगी चाहते है, तो भगवान् शिव की पूजा करे।
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