भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन परिचय:
भारतीय साहित्य में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का एक महत्वपूर्ण स्थान है। उनके काव्य और गद्य का साहित्यिक योगदान ने भारतीय साहित्य को विश्व में प्रतिष्ठा प्राप्त कराया। इस लेख में हम उनका जीवन परिचय , साहित्यिक कार्य, रचनाएँ, भाषा शैली और योगदान को विस्तार से जानेंगे।
भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय |
नाम |
भारतेंदु हरिश्चंद्र |
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जन्म | 9 सितम्बर 1850 |
स्थान |
काशी (उत्तर प्रदेश) |
पिता | बाबू गोपाल चंद |
शिक्षा | स्वअध्ययन के माध्यम से विभिन्न भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया |
संपादन | कवि वचन सुधा, हरिश्चन्द मैगजीन,हरिश्चन्द चंद्रिका |
पेशा | कवि, लेखक, पत्रकार |
काल | आधुनिक |
विधा | नाटक, निबंध संग्रह, काव्यकृतियों का अनुवाद |
विषय | हिंदी |
उल्लेखनीय कार्य | भारत दुर्दशा, अंधेर नगरी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
मृत्यु | 6 जनवरी 1885, काशी, उत्तर प्रदेश |
मुख्य रचनाओं | भारत वर्षो उन्नति कैसे हो सकती है, प्रेम तरंग, वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति |
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म 9 सितंबर, 1932 को उत्तर प्रदेश के बनारस जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बाबू गोपाल चंद था। उनका बचपन बहुत दुःख और गरीबी भरा था, लेकिन उनके माता-पिता ने उनके पढ़ाई-लिखाई में उनका सहयोग किया।
भारतेन्दु हरिश्चन्द की रचनाएँ
रचनाएँ |
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वैदिक हिंसा हिंसा न भवति |
सत्य हरिश्चंद्र |
भारत दुर्दशा |
नीलादेवी |
अंधेर नगरी |
भक्त सर्वज्ञ |
प्रेम मलिका |
प्रेम माधुरी |
प्रेम तरंग |
प्रेम प्रकल्प |
प्रेम फुलवारी |
प्रेम सरोवर |
होली |
मधुमुकुल |
राग संग्रह |
वर्षा |
विनोद विनय |
प्रेम पचासा |
फूलों का गुच्छ |
चंद्रावली |
कृष्णचरित्र |
उत्तरार्द्ध भक्तमाल |
काव्य संग्रह -
तरंगिणी: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का प्रसिद्ध काव्य संग्रह है "तरंगिणी"। इसमें उन्होंने भावुकता से भरी कविताएं लिखीं जो अपनी सरलता और साहसिकता से प्रसिद्ध हैं।
कविता संग्रह -
सूर्यांश: "सूर्यांश" भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का एक और प्रसिद्ध काव्य संग्रह है, जिसमें उन्होंने प्रकृति, जीवन, और सांस्कृतिक विरासत के विषयों पर गहरे भावनाओं से भरी कविताएं रची हैं।
नाटक -
प्रहरी: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने नाटक लेखन में भी अपनी एक्सपर्टीज दिखाई। उनका प्रसिद्ध नाटक "प्रहरी" वीरता और नायकों के वीरगाथाओं पर आधारित है।
उपन्यास -
आगाज: "आगाज" भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का एक प्रसिद्ध उपन्यास है, जो समाज की समस्याओं पर आधारित है। इस उपन्यास में उन्होंने समाज की विभिन्न मुद्दों को उजागर किया है।
लघुकथाएं -
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की लघुकथाएं भावपूर्ण होती हैं और उनमें विभिन्न जीवन के पहलुओं को समझाने की क्षमता होती है।
व्यंग्य - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न मुद्दों पर चिंतन किया और उन्हें हँसाने वाले ताज़ा दृष्टिकोण प्रदान किया। उनके व्यंग्य रचनाएं समाज को चेतावनी देने वाली थीं और साथ ही उसमें हास्य भी था जिससे पाठकों का मनोरंजन होता था।
निबंध -
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के लेखन में निबंध भी एक महत्वपूर्ण रचनाशैली थी। उन्होंने विभिन्न विषयों पर निबंध लिखे जो समाज को समझाने और जागरूक करने का काम करते थे। उनके निबंध शैली और विचारधारा ने उन्हें साहित्यिक मंच पर अलग पहचान दिलाई।
कविता -
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की कविताएं उनके साहित्यिक रचनाओं की राज़दार थीं। उनकी कविताओं में भावनाएं और भाव अभिव्यक्ति अत्यंत सुन्दर रहती थी। उन्होंने प्रकृति, प्रेम, विचारों को कविताओं के माध्यम से सुंदर अलंकारिक भाषा में प्रस्तुत किया।
लेख -
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के लेख साहित्यिक पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुए थे। उन्होंने समाजिक, राजनीतिक और साहित्यिक विषयों पर अपने लेखों के माध्यम से विचारों का प्रसार किया और जनता को जागरूक किया।
आत्मकथा -
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपनी आत्मकथा के माध्यम से अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को लोगों के साथ साझा किया। उनकी आत्मकथा उनके जीवन के अनुभवों और संघर्षों से भरी थी और उसमें उनकी संघर्षशील जीवनी का सटीक चित्रण होता था।
भारतेंदु हरिश्चंद्र की भाषा शैली
भाषा शैली का भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के लेखन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
- भारतेन्दु हरिश्चन्द की रचनाएं विचारधारा, अभिव्यक्ति, और भाषा के प्रति उनकी संवेदनशीलता का प्रतिबिम्ब करती हैं।
- उनके लेखन की भाषा बहुत सुंदर और आकर्षक रहती है। उनके शब्दों में जीवन, संवेदना, और भावनाएं समाहित होती हैं जो पाठकों के दिलों में संवेदना और संबोधन पैदा करती हैं।
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषा शैली बहुत सरल और सुविधाजनक होती है। उन्होंने भारतीय जीवनशैली को अपने लेखन में बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया।
- उनकी रचनाओं में भारतीय संस्कृति, समाज, और राष्ट्रीय अनुभूतियों को प्रमुख रूप से प्रकट किया गया है।
- उनके लेखन में विचारों को सार्थक और सुलभ शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। उनके विचार बहुत अच्छे तरीके से संगठित होते हैं और पाठकों को समझने में आसानी होती है।
- उनकी भाषा में सभी वर्गों के लोग सहजता से समझ सकते हैं जो उन्हें लोकप्रिय बनाता है।
- उनके लेखन में रस, भाव, और भावनाएं सजीवता से भरी होती हैं। उन्होंने अपने शब्दों में जीवन के रंग और समृद्धि को बखूबी प्रकट किया है।
- उनके लेखन की भाषा उत्कृष्ट, प्रेरक, और संबोधनीय होती है जो पाठकों को खींचती है।
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की रचनाएं भाषा शैली के आधार पर उन्हें एक विशेष जगह प्राप्त है।
- उनके लेखन का प्रभाव और सम्मान साहित्य समाज में अद्भुत है और उन्हें एक महान साहित्यकार के रूप में माना जाता है।
FAQs
Q: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म कब हुआ था?
A: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म 9 सितंबर, 1932 को उत्तर प्रदेश के बनारस में हुआ।
Q: भारतेन्दु हरिश्चन्द के पिता का नाम क्या था?
A: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के पिता का नाम बाबू गोपाल चंद था।
Q: कौन सी उम्र में उन्होंने पहली कविता रची थी?
A: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपनी प्रथम कविता 12 वर्ष की आयु में रची थी।
Q: उनका साहित्यिक योगदान किस तरह से भारतीय साहित्य को प्रभावित किया?
A: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का साहित्यिक योगदान भारतीय साहित्य के लिए महत्वपूर्ण है। उनके रचनात्मक शैली ने लोगों के दिलों को छू लिया और उन्हें साहित्यिक जगत में अलग पहचान दी।
Q: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के साहित्य में कौन सी विशेषता है?
A: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपनी प्रथम कविता 12 वर्ष की आयु में रची थी। उनके रचनाएं ध्यानवश में बढ़ती गईं और उन्होंने विभिन्न प्रकार की कविताएं और कहानियाँ लिखीं। उनका साहित्य विविधता से भरा हुआ है और उनके रचनाकारी अद्भुत थी।
निष्कर्ष
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र भारतीय साहित्य के एक अनमोल रत्न थे। उनके काव्य और साहित्यिक योगदान ने लोगों के दिलों में स्थान बना लिया, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र भारतीय साहित्य के एक विश्वसनीय और प्रख्यात लेखक थे, उनकी रचनाएं भारतीय साहित्य के क्षेत्र में विविधता और समृद्धि का संकेत करती हैं। उन्होंने विभिन्न विषयों पर कविताएं, कहानियाँ, उपन्यास, नाटक, और लघुकथाएं लिखीं।
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