B.Ed. vs B.T.C. Court Case समझिए!- B.Ed और BTC का पूरा मामला कोर्ट में अटका हुआ था उसका निर्णय आ चुका है, इस आर्टिकल में हम B.ED. और B.T.C. के बीच जो मामला कोर्ट में अटका हुआ था उसकी चर्चा पॉइंट टू पॉइंट करेंगे।
डिसीजन में तीन मुख्य बातें की गई है व इनको RTE 2009 की कसौटी पर परखा गया है-
B.Ed. vs B.T.C. Court Case |
- 1. क्या B.Ed. हायर क्वालिफिकेशन है ?
- 2. गजट नोटिस लाने का कारण क्या था ?
- 3. 2018 का गजट नोटिफिकेशन किस तरह से लाया था ?
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार B.Ed. प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए उचित अर्हता नहीं है जिसकी वजह से प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता नीचे जा सकती है और RTE 2009 के एक मुख्य पहलू का उल्लंघन होगा जो है- शिक्षा की गुणवत्ता
क्या B.Ed. हायर क्वालिफिकेशन है ?
👉 इस पर भी सुप्रीम कोर्ट का कहना यह है कि अगर B.Ed. हायर क्वालिफिकेशन होता तो 6 महीने का ब्रिज कोर्स क्यों करवाया जाता है ?
इसका मतलब NCTE भी जानता है कि B.Ed उचित योग्यता नही है और पेडागॉजी के विभिन्न पहलुओं से अछूता है।
👉 एक जगह यह भी कहा गया है कि इस नोटिस का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता की आड़ में B.Ed. डिग्री बेरोजगारों को नौकरी देना प्रतीत होता है जो RTE ACT का उल्लंघन करता है क्योंकि गुणवत्ता सबसे जरुरी है।
गजट नोटिस लाने का कारण क्या था ?
👉 इस पर यह कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालय संगठन के कमिश्नर के द्वारा मंत्रालय में यह बात रखी गई कि हमारे पास D.El.Ed. प्रशिक्षु नहीं होते जिसकी वजह से प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों की कमी रहती है इसीलिए कृपया हमें B.Ed. डिग्री धारकों को प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए एलिजिबल करने का मौका दीजिए जिस पर मंत्रालय ने एक तरह से NCTE को आदेश देकर B.Ed. को संपूर्ण देश में एलिजिबल करने के लिए नोटिफिकेशन निकालने हेतु बाध्य किया।
सबसे मुख्य पहलू है कि यह 2018 का गजट लाया कैसे गया था?
👉 RTE 2009 के अनुसार NCTE योग्यता तय तो कर सकता है लेकिन पूरा सर्वे कर के, ना कि सरकार के कहने पर। तो यह Policy Decision नही अपितु Academic Decision था जो NCTE को खुद लेना चाहिए था।
👉 ये निर्णय बिना किसी Expertise के लिया गया है, इस वजह से इस गजट को इस नोटिफिकेशन को खारिज किया जाता है।
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