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Hindenburg Report : गौतम अडानी को अमेरिका आकर केस करने का चैलेंज क्यों दे रहा है हिण्डनबर्ग

अपनी रिपोर्ट्स में कैसे खेल करता है हिण्डनबर्ग|Why is Hindenburg challenging Gautam Adani to come to America and file a case?


अपनी रिपोर्ट्स में कैसे खेल करता है हिण्डनबर्ग|Why is Hindenburg challenging Gautam Adani to come to America and file a case?
अडानी

HINDENBURG की रिपोर्ट जब से प्रकाशित हुई है तब से अदानी ग्रुप के शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं इस स्थिति में अदानी ग्रुप ने हिंडन बर्ग के ऊपर मानहानि का दावा करने के लिए सोचा है लेकिन हिण्डन बर्ग का कहना है कि अदानी ग्रुप अमेरिका की कोर्ट में उस पर मानहानि का केस करें ।


अब तक कितनी कंपनियों के ऊपर हिण्डन बर्ग ने रिपोर्ट जारी किया है

इसके पहले हिण्डन बर्ग ने टोटल 20 कंपनियों के ऊपर ऐसी ही रिपोर्ट जारी की थी  और रिपोर्ट जारी करने के बाद इन कंपनियों के शेयर अचानक गिर गए,और इनमें से केवल दो कंपनियों ने , एक कंपनी चीन की थी जिसकी वैल्यू रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद गिर गयी और बाद में बर्बाद हो गई, और एक कंपनी Eros इंटरनेशनल थी जिसने हिण्डन बर्ग के ऊपर मानहानि का केस किया था लेकिन दोनों कंपनियों के मानहानि के केस को अमेरिकी अदालत में खारिज कर दिया और अमेरिकी कोर्ट ने उस रिपोर्ट को हिण्डन बर्ग का ओपिनियन बताया , और कहा कि रिपोर्ट में किसी भी प्रकार का दावा नहीं किया गया है यह हिण्डन बर्ग की खुद की ओपिनियन मात्र है।


किस आधार पर अमेरिकी कोर्ट हिण्डन बर्ग की रिपोर्ट को ओपीनियन(विचार) की तरह मानता है

जब भी हिण्डन बर्ग किसी भी कंपनी के लिए अपनी रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित करता है तब वह उस रिपोर्ट में डिस्क्लेमर पहले ही लगा देता है डिस्क्लेमर में ये पहले ही बता देते है कि इसमें कही गयी बातें ऊपर नीचे हो सकती है हम इसकी पुष्टि नही करते है , और अपनी रिपोर्ट में हिण्डनबर्ग WE THING, WE BELIEVE जैसे शब्दों का इस्तेमाल करता है जिसका मतलब ये नही है कि रिपोर्ट में कही गयी बाते शत प्रतिशत है ,रिपोर्ट में कही गयी बाते एक अंदाजा होती है, और इसी चीज का फायदा हिण्डन बर्ग को तब मिलता है जब कोई कंपनी हिण्डन बर्ग के ऊपर मानहानि का दावा करता है, क्योंकि अमेरिका की अदालत में रिपोर्ट में कहें गए शब्दो का मतलब एक विचार या ओपिनियन के रूप में सिद्ध हो जाता है जिसका मतलब रिपोर्ट में कही गयी बाते दावा नही करती है बल्कि अपनी विचार प्रस्तुत करती है। क्योंकि हिण्डन बर्ग एक रिसर्च कंपनी है और रिसर्च में किये गए दावे जरूरी नही है सभी सही हो, ज्यादातर नतीजे गलत भी हो सकते है।


अब जब अडानी ग्रुप ने हिण्डन बर्ग के ऊपर मानहानि का केस करने जा रही थी तब हिण्डन बर्ग ने अडानी ग्रुप को चैलेंज दिया कि वो अमेरिकी कोर्ट में मानहानि का केस दर्ज कर ले क्योंकि उसे पता है कि रिपोर्ट में कहे गए शब्दो का मतलब एक ओपिनियन सिद्ध हो जाएगा और मानहानि का केस खारिज हो जायेगा। इसी तरह खेल हिण्डन बर्ग जैसे रिसर्च सेंटर जारी करते है जिसमे वो केवल अपना एनालिसिस करके रिपोर्ट तैयार करते है और पब्लिस कर देते है ,उनकी उस रिपोर्ट का उस कंपनी पर क्या प्रभाव पड़ता है इससे उनको कोई मतलब नही होता है।


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