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Marburg virus news in hindi- मालबर्ग वायरस इन हिंदी

Marburg virus news in hindi- मालबर्ग वायरस इन हिंदी

कोरोना के बाद लगभग हर रोज नए-नए वायरस सामने आ रहे है उसी कड़ी में एक और वायरस मारबर्ग जो फिर से सामने आ गया है, ताजा ख़बरों की माने तो यह मारबर्ग वायरस कोरोना से कही ज्यादा ताकतवर है, इसके लक्षण अचानक सामान्य से गम्भीर हो जाते है और इसके मरीज को संभालने का मौका नही मिलता है। अभी तक इसके 16 मामले सामने आए है जिसमे से 9 लोग काल के गाल में समा चुके है।

इसके मामले अभी तक केवल अफ्रीकन कंट्री में पाए गए, इस मामले पर WHO ने अपनी नजर लगातार बनाये हुए है तथा अलर्ट मूड पर है।

मारबर्ग वायरस की उत्त्पत्ति कैसे और कहा हुई-

यह वायरस सबसे पहले 1967 में जर्मनी के मारबर्ग शहर में पाया गया था इसलिए इसका नाम जर्मनी के मारबर्ग शहर के नाम पर रख दिया गया। और फिर ये वायरस 1967 में ही यूगांडा तक फैल गया।

लेकिन अब यह वायरस फिर से लौट आया है हाल ही में यह वायरस अफ्रीका के इक्वेटोरियल गिनी देश में पाया गया है । अभी तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक यहा पर टोटल 16 केसों की पुष्टि हुई है जिसमे से 9 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

यह वायरस फल खाने वाले चमगादड़ों से फैलता है और यह ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिट भी होता है।

मारबर्ग वायरस
मारबर्ग वायरस 

मारबर्ग वायरस के लक्षण-

मालबर्ग वायरस के सामान्य लक्षण- उल्टी, सीने में दर्द, गले में दर्द या खरास, मतली ,पेट में दर्द, दस्त आना ,यह लक्षण तेजी से बहुत गंभीर हो जाते हैं, और इसमें , अग्न्याशय की सूजन, वजन घटने, पीलिया, सदमा, यकृत का फेल होना, बड़े पैमाने पर खून का बहना शामिल है। 

जिसमे बुखार आता है। यह वायरस एबोला वायरस के परिवार का ही सदस्य है , जो लोग एबोला वायरस से संक्रमित होकर ठीक हो चुके है उनमें यह वायरस तेजी से फैल सकता है।

मारबर्ग का इलाज क्या है-

मारबर्ग वायरस का कोई उपचार नहीं है, लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सा का उपयोग किया जाना चाहिए, जिसमें ग्रसित व्यक्ति को तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स से  संतुलित करना चाहिए, ऑक्सीजन की स्थिति और ब्लड प्रेशर लगातार बनाए रखना चाहिए।

मारबर्ग वायरस को फैलने से कैसे रोके-

मारबर्ग वायरस को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित व्यक्ति को सबसे पहले अलग कर दिया जाय , संक्रमित व्यक्ति के मल मूत्र को सही ढंग से ठिकाने लगाया जाए, तथा मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग लगातार किया जाय। 

क्योंकि मारबर्ग वायरस गंदी जगहों पर 4-5 दिन तक जीवित रहता है, इसके मरीज के डायरेक्ट संपर्क में आने से बचना चाहिए, और उन जगहों लगातार सैनिटाइज करना चाहिए जहा पर इसके मरीज को रखा गया हो।

मारबर्ग होने की सबसे अधिक संभावना किसे है-

मारबर्ग होने की सबसे अधिक संभावना अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों है जो बिना सुरक्षा साधनों के मरीज की देखभाल करते है और उनके डायरेक्ट संपर्क में आ जाते है। क्योंकि मारबर्ग वायरस ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिट होता है।
 
निर्देश:- यह आर्टिकल किसी भी तरह के इलाज की पुष्टि नही करता है ,अगर पाठक को किसी भी प्रकार के लक्षण नजर आते है तो वह नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में संपर्क कर सकता है या फिर अपने डॉक्टर से सलाह ले।

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