Kantara Movie Review in Hindi
एक ऐसी मूवी जो दसको तक जहन में रहेगी । क्यों ऐसी फिल्में बार-बार नही बनती है?
Kantara Movie Review (दैव फ़ोटो) |
Kantara Movie कन्नड़ भाषा मे बानी अबतक की सबसे अच्छी और भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाली फिल्म मानी जा रही है। आखिर इस फ़िल्म में ऐसा क्या दिखाया गया है कि लोग इस फ़िल्म की तारीफ कर रहे है? चलिए जानते है....
Kantara Movie Review Storyline in Hindi
फ़िल्म की शुरुआत एक राजा से होती है जिसके पास संसार का का सब कुछ धन, धान्य , प्रजा , राज्य सब प्रकार की मूलभूत सुविधाएं है लेकिन इन सब सुविधाओं के बाउजूद उनका मन शांत नही रहता है, उनको मन की शांति नही मिल रही है वे शांति की तलाश में दर दर भटक रहे है उनका मन बेचैन है ,शांति के खातिर वे अपनी सारी धन दौलत सब कुछ लुटा देना चाहते है।
- ऐसी कड़ी में राजा भटकते भटकते जंगलो में पहुँचते है वहाँ पर उनको एक पत्थर दिखता है और उसे देखकर राजा के मन मे शांति का भाव उत्त्पन्न होता है
- और तब वे मन बनाते है कि वे इस पत्थर को अपने साथ ले जाएंगे । बस यही से कहानी की सुरुवात होती है ।
- असल मे जो पत्थर राजा को दिख रहा था ओ कोई पत्थर नही बल्कि जंगलो में रहने वालों आदिवासियों के देवता/दैव थे जिसे देखकर राजा के मन मे शांति आयी थी
- और राजा दैव को किसी भी कीमत पर अपने साथ ले जाना चाहते थे ।
- तभी वहा पर देवता की पूजा करने वाले आदिवासी आ जाते है और राजा उनसे विनती करते है कि वे दैव को अपने साथ ले जाने दे।
- पर आदिवासी राजा से प्रार्थना करते है कि दैव उनके कुल देवता है और वे उनको किसी को भी दे नही सकते है।
- तभी वहां पर एक आदिवाशी पर दैव प्रकट हो जाते है और और राजा से कहते है कि मैं तुम्हारे साथ चलूंगा लेकिन उसके लिए मेरी एक शर्त है ,
- राजा कोई भी शर्त मानने को तैयार थे ।
- दैव की शर्त यह थी कि जहाँ तक उनकी आवाज जाएगी वो सारी की सारी जमीन ,राजा आदिवासी को दान कर देंगे
- और अगर ऐसा नही किया तो आपकी सारी शान्ति भंग ही जाएगी।
- राजा ने दैव द्वारा दी शर्त को स्वीकार कर दैव को अपने साथ अपने घर ले आते है।
- और यही से आगे की कहानी की शुरुआत होती है। कि राजा द्वारा दी गयी दान में जमीन को हथियाने के लिए लोग कैसे कैसे षड्यंत्र रचते है।
Kantara फ़िल्म का ओवर व्यू
फ़िल्म लगभग 2:30 घंटे की है और फ़िल्म लगातर इंस्ट्रेस्टिंग बनी रहती है।
और यह फ़िल्म सही मायने में भारत और उसकी संस्कृति को प्रदर्शित करती है और भारत के प्राचीन में होने वाले रीति रिवाजों को दर्शाती है वो रीति रिवाज जो भारत से दिन प्रतिदिन विलुप्त होती जा रही ।
लोग इन सब को वहम मानते है भारत के लोग मॉडर्ननाइजेसन के चक्कर मे अपनी पुरानी रीति रिवाज का मजाक उड़ाते है।
अंत मे बस इतना कहना चाहूंगा कि फ़िल्म बहुत ही अच्छी है और इसे देखने के लिए जरूर रिकमेंड करूँगा।
इस मूवी का बजट मात्र 18 करोड रुपए का था।
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